मध्यप्रदेश मानव आधिकार आयोग द्वारा की जाएगी कठोर कारवाई या होगा मामले का पटाक्षेप ? 

मामला स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की लापरवाही पर नोटिस का । 



भोपाल ।  मध्यप्रदेश सरकार में लोक स्वास्थ्य कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव रही पल्लवी जैन गोविल द्वारा कोरोना वायरस से संक्रमित होने की जानकारी छिपाने तथा समाचारपत्र में  ’जिन पर सबसे बडी जिम्म्मेदारी.. उन्हीं की बेपरवाही बदस्तूर जारी, कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट मिलने के दो दिन बाद अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के अफसर’ शीर्षक से प्रकाशित खबर पर मध्यप्रदेश मानव आधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन द्वारा संज्ञान लेने के बाद   मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन से आज शाम पांच बजे तक ई-मेल पर प्रतिवेदन मांगा है। आयोग के अध्यक्ष ने प्रमुख सचिव जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर बैठी अधिकारी द्वारा बरती गई लापरवाही को गंभीर माना है । यह बात ओर है कि सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत करने से पूर्व ही उनकी ज़िम्मेदारी से उनको मुक्त कर उपचार हेतु रखा गया है ओर एसीएस रेंक के अधिकारी को जिम्मेदार बनाया है , परन्तु यह परिवर्तन इस अपराध को छिपाने के लिये काफ़ी है । मेरा मानना है कि बिल्कुल नही ! मध्यप्रदेश सरकार को पल्लवी जैन गोविल के विरुध्द अनुशासनात्मक कारवाई के अलावा कानूनी कारवाई भी करनी चाहिऐ ताकि आमजन को इसका सबक़ मिले कि जनता के स्वास्थ्य के , जीवन के साथ खिलवाड़ के लिये दंडित भी किया जा सकता है । शिवराज सिँह चौहान से लाख दर्जे उत्तर प्रदेश के योगी हैं जिन्होने ना तो कोनिका कपूर को बख्श ओर ना अन्य के साथ रियायत बरती । 
ख़ैर ! वर्तमान सन्दर्भ में बात करें तो मध्यप्रदेश में चल रही असंवैधानिक सरकार के एक मात्र मुखिया ओर उनमे समाहित मन्त्री परिषद शिवराज सिँह चौहान वर्तमान समय तक केवल घोषणाएं करते दिख रहे हैं , उन घोषणाओं पर अमलीजामा नही होने के कारण अव्यवस्था का माहौल निर्मित है । शिवराज जी द्वारा ढुलमुल नीति अपनाने ओर कोरोना वायरस के इस संक्रमित माहौल में भी तबादला उद्योग को बदस्तूर चालू रखना यह प्रमाणित करता है कि मध्यप्रदेश की जनता को कोरोना वायरस क्षति पहुंचाएगा या नही परन्तु शिवराज का सत्ता में रहना मुश्किल जरूर होगा । 
अब बात करते है मध्यप्रदेश मानव आधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन द्वारा मुख्यसचिव को भेजे नोटिस ओर उस पर आज शाम 05बजे तक ई मेल पर उत्तर का । तो हम जानते है कि आयोग ने मुख्यसचिव से 
जिन बिंदुओं पर जानकारी मांगी है वह क्या हैं :-
-समाचार पत्र में उल्लेखित अधिकारियों के कोरोना वायरस के संक्रमण की पाजिटिव रिपोर्ट किस तारीख व समय पर प्राप्त हुई ?
- समाचार पत्र में उल्लेखित अधिकारियों की पाजिटिव रिपोर्ट आने पर उनको तुरन्त अस्पताल ले जाकर आइसोलेशन वार्ड में क्यों नहीं रखा गया ? 
-स्वास्थ्य विभाग के ऐसे कितने अधिकारी एवं कर्मचारियों की कोरोना वायरस से संक्रमण की पाजिटिव रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जो समाचार पत्र में उल्लेखित अधिकारियों के निरन्तर सम्पर्क में थे। 
-क्या पाजिटिव रिपोर्ट प्राप्त होने पर सम्पर्क में आये स्वास्थ्य विभाग के इन अधिकारियों और कर्मचारियों को आइसोलेशन वार्ड में  रखा गया है या नहीं ? 
-और समाचार पत्र में जिन अधिकारियों का उल्लेख है उनके कोरोना संक्रमण का पाजिटिव रिपोर्ट प्राप्त होने पर जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के किन संबंधित अधिकारियों का यह दायित्व था कि उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाकर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराते। अतः तत्काल भर्ती नहीं कराने के लिये संबंधित अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की गई ? 
-कथित दायित्वों का निर्वहन राज्य व केन्द्र शासन के निर्देशों के अनुसार नहीं करने के लिये कौन अधिकारी जिम्मेदार है? -उक्त दिनांक को इस कर्त्तव्य का निर्वहन किस अधिकारी को करना था? पर प्रतिवेदन चाहा है। 
आज शाम तक मध्यप्रदेश के मुख्यसचिव द्वारा भेजे जाने वाले प्रतिवेदन के बाद मध्यप्रदेश मानव आधिकार आयोग क्या कठोर कदम उठाते है यह अब देखना है । या मध्यप्रदेश मानव आधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन द्वारा भी कारवाई की अनुशंसा कर मामले का पटाक्षेप किया जाएगा । 
@सैयद ख़ालिद कैस