कोरोना वायरस की स्क्रीनिंग रिपोर्ट में अनियमितता उजागर

भोपाल। आज एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र में कोरोनावायरस के संबंध में “स्क्रीनिंग की गफलत में आईपीएस पहुंचे अस्पताल 5 दिन में रहना होगा कोरेन्टाइन “ शीर्षक की खबर पढ़कर इस बात का संदेह उत्पन्न हो गया है कि राजधानी भोपाल में कोरोनावायरस के संक्रमित व्यक्तियों की संख्या  निरंतर बढ़ने में कहीं ना कहीं इस प्रकार की गफलत जिम्मेदार तो नही ?
गौरतलब है राजधानी के एक आईपीएस अफसर को कोरोनावायरस का संक्रमित मानकर उनकी स्क्रीनिंग की गई थी जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई । परन्तु बाद में आई फाइनल रिपोर्ट नेगेटिव आने से मामला गरमा गया , जहाँ अस्पताल प्रबंधन अपने बचाओ के साथ संबंधित आईपीएस को कोरेन्टाइन कराने पर अड़ा है तो संबंधित घर जाने पर । दोनों  रिपोर्टो के परिणाम अलग अलग आने के कारण पूरी की पूरी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया है ।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक उक्त आईपीएस अधिकारी की स्क्रीनिंग रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी , परंतु जब उनके द्वारा एक निजी चिकित्सालय से अपनी फाइनल रिपोर्ट प्राप्त की तो वह नेगेटिव निकली । जिससे यह प्रमाणित हो गया प्रारंभिक स्तर पर निकाली जा रही स्क्रीनिंग रिपोर्टों को जारी करने में एक और जहां गफलत की जा रही है वहीं इन रिपोर्टों के उजागर होने से कोरोनावायरस के संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में हो रहे इजाफे ने संदेह उत्पन्न कर दिया है ।
इस मामले के उजागर होने के बाद मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य संचालनालय ने स्क्रीनिंग रिपोर्टों की प्रारंभिक सूची पर रोक लगा दी है , ओर साथ ही यह निर्देश भी दिए हैं कि फाइनल टेस्ट के बाद आने वाली रिपोर्ट के बाद ही सूची जारी की जाएगी , ताकि लोगों में बढ़ रहे भय को रोका जा सके ।  भारत सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों के नामों को उजागर करने पर लगाई गई रोक भी इस दिशा में सार्थक साबित होगी।
इसी सन्दर्भ में गत दिनों मध्यप्रदेश में घटित एक घटना ने भी मानवता को चोट पहुंचाई है। जिसमें एक महिला डॉक्टर को उसके पड़ोसियों द्वारा अपमानित करने , प्रताड़ित करने का मामला प्रकाश में आया है । पड़ोसियों द्वारा किया गया यह कृत्य अत्यंत निंदनीय है।
@सैयद ख़ालिद कैस